ऐसे दौर में जब कोरोना संक्रमण को रोकने के एक मात्र उपाय लॉक डाउन से उपजी आर्थिक विषमताओं को दूर करने के लिए हर स्तर पर मंथन जारी है और प्रमुख औद्योगिक संगठनों से लेकर कोंग्रेस और तमाम अर्थशास्त्री सरकार को अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के सुझाव दे रहे हैं तो मौके की नजाकत को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदीजी का खुद कमान हाथ मे लेना अच्छा कदम है । इससे उद्योग जगत और आम जनता का विश्वास बहाल करने में सहायता मिलेगी । किन्तु इसी प्रक्रिया में प्रधानमंत्री को कोंग्रेस नेता राहुल गांधी और रिजर्वबैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के मध्य हुए संवाद पर भी ध्यान देना चाहिए । धनी और औद्योगिक रूप से विकसित देशों की चीन से मोहभंग की स्थिति को देखते हुए सरकार का विदेशी निवेशकों को लुभाने का प्रयास ठीक ही है किंतु देश की मौजूदा व्यवस्था को पटरी पर लाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए । इस लिहाज से राहुल -राजन के संवाद पर ध्यान देना उपयोगी रहेगा क्योंकि संवाद का विषय देश की आर्थिक मजबूती को बहाल करना है । दरअसल देश की मौजूदा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोंग्रेस नेता राहुल गांधी ने रघुराम राजन से सुझाव मांगे थे जिस पर राजन का विचार था कि अर्थव्यवस्था को लॉक डाउन से खोलना होगा , जल्द आर्थिक गतिविधियों -कारोबार को खोलना होगा क्योंकि भारत के पास पश्चिमी देशों की तरह रिजर्व में पर्याप्त संसाधन नहीं है । ये भी सही है कि कोरोना संकट से सबसे ज्यादा रोज कमाने खाने वाले गरीब ,मजदूर प्रभावित हुए हैं ,जिनमें रोजी रोटी की तलाश के लिए घर से बेघर हो चुके लाखों प्रवासी मजदूर-कर्मचारी भी शामिल हैं जिन्हें प्रमुख महानगरों में अपने परिवार के साथ सड़कों पर दिन बिताने पड़ रहे हैं । राजन की सलाह है कि ऐसे गरीबों को गुजर बसर करने के लिए तुरंत सहायता दिए जाने की जरूरत है जिस पर 65 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे जो सरकार के लिए मुश्किल नहीं है । देश की जाम हो चुकी अर्थव्यवस्था के पहिये चलाने के लिए राजन का यह सुझाव बहुत उपयोगी बल्कि जरूरी ही है । इसलिए कि अर्थव्यवस्था का प्रमुख घटक श्रमिक या मजदूर है जिसे भूखा-अभावग्रस्त रख कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कल्पना ही बेमानी है । कोरोना संक्रमण को रोकने के प्रयास को सराहनीय बताते हुए राजन का यह सुझाव भी मानने योग्य है कि कारोबार और कार्यस्थल ,दोनों जगहों को सुरक्षित रखते हुए आर्थिक गतिविधियों को शुरू किया जाए । इसका मकसद यह है कि तीसरे और चौथे लॉक डाउन की स्थिति न आ सके अन्यथा स्थिति को विनाशकारी होने से बचाना मुश्किल होगा । मुझे लगता है कि वर्तमान स्थितियों में अर्थव्यवस्था को फिर से रफ्तार देने की दृष्टि से राजन के सुझाव बहुत बहुमूल्य हैं और जब प्रधानमंत्री ने खुद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कमान संभाल ली है तो उन्हें राजन के सुझाव पर भी विचार करना चाहिए । राजन की इसी योग्यता-प्रतिभा से आकर्षित हो कर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान , अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कोरोना से बदहाल हो चुकी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए उन्हें सलाहकार नियुक्त किया है । मेरा मानना है कि विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है जिसका लाभ अगर मिलेगा भी तो काफी वक्त लगेगा । वैसे भी रिटेल सेक्टर में एफडीआई को 49 फीसदी से 100 फीसदी तक बढ़ाने का अपेक्षित फायदा नहीं मिला , यह भी सर्वविदित है । अतः देश की मौजूदा व्यवस्था को ही गतिमान बना कर पूर्व स्थिति में लाना ज्यादा जरूरी है जिसके लिए रघुराम राजन के सुझाव बहुत लाभदायक होंगे ।
रघुराम राजन के उपयोगी सुझाव